Go To Mantra

आ शु॑भ्रा यातमश्विना॒ स्वश्वा॒ गिरो॑ दस्रा जुजुषा॒णा यु॒वाको॑: । ह॒व्यानि॑ च॒ प्रति॑भृता वी॒तं न॑: ॥

English Transliteration

ā śubhrā yātam aśvinā svaśvā giro dasrā jujuṣāṇā yuvākoḥ | havyāni ca pratibhṛtā vītaṁ naḥ ||

Pad Path

आ । शु॒भ्रा॒ । या॒त॒म् । अ॒श्वि॒ना॒ । सु॒ऽअश्वा॑ । गिरः॑ । द॒स्रा॒ । जु॒जु॒षा॒णा । यु॒वाकोः॑ । ह॒व्यानि॑ । च॒ । प्रति॑ऽभृता । वी॒तम् । नाः॒ ॥ ७.६८.१

Rigveda » Mandal:7» Sukta:68» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:14» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:1


Reads times

ARYAMUNI

अब प्रकारान्तर से राजधर्म का उपदेश करते हैं।

Word-Meaning: - (स्वश्वा, अश्विना) हे उत्तम अश्वोंवाले राजपुरुषो ! आप (द्स्रा) शत्रुओं के नाश करनेवाले (शुभ्रा) तेजस्वी (युवाकोः) बलवान् हैं, (गिरः) हमारी वाणियें आपके लिये (आ) भले प्रकार (जुजुषाण) सत्कारवाली हों, (यातं) आप आकर (नः) हमारे यज्ञ को सुशोभित करें (च) और (हव्यानि) यज्ञीय पदार्थों का जो (प्रतिभृता) हविशेष है, उसका (वीतं) उपभोग करें ॥१॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि याज्ञिक लोगो ! तुम अपने न्यायाधीश तथा सेनाधीश राजपुरुषों का सम्मान करो, उनको अपने यज्ञों में बुलाओ और मधुर वाणी से उनका सत्कार करते हुए हविशेष से उनको सत्कृत करो, ताकि राजा तथा प्रजा में परस्पर प्रेम उत्पन्न होकर देश का कल्याण हो ॥१॥
Reads times

ARYAMUNI

अथ प्रकारान्तरेण राजधर्म उपदिश्यते।

Word-Meaning: - (स्वश्वा, अश्विना) हे सुन्दराश्ववन्तो राजपुरुषाः ! यूयं (दस्रा) शत्रुहन्तारः (शुभ्रा) तेजस्विनः (युवाकोः) युष्मान् कामयमानानां नः (गिरः) वचांसि (जुजुषाणा) सेवमानाः, (आ, यातं) आगच्छत (नः) अस्मद्यज्ञान् सुशोभितान् कुरुत (च) अपरञ्च (हव्यानि) हवनीयवस्तूनि (प्रतिभृता) सज्जितानि तानि (वीतं) भक्षयत ॥१॥